चंडीगढ़। मानेसर लैंड स्कैम में शुक्रवार को पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत 34 लोगों को समन जारी किए हैं। सभी को 19 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए गए हैं। सीबीआई कोर्ट जमा करवाए गए चालान की स्क्रूटनिंग पूरी कर चुका है। इस मामले में सभी आरोपियों को चालान की कॉपी दी जानी है। इसलिए इन्हें बुलाया गया है। सभी आरोपियों को होना होगा पेश…
– अब हुड्डा के अलावा एमएल तायल, छतर सिंह, एसएस ढिल्लों, पूर्व डीटीपी जसवंत सहित कई बिल्डरों को कोर्ट में पेश होना पड़ेगा। – स्कैम में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी (हुड्डा सरकार में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर), डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लान हेडक्वार्टर, राजौकरी के डायरेक्टर, 23 लैंड एक्वायर करने वाली कंपनियों और बिल्डर्स के भी नाम शामिल हैं। – सीबीआई की ओर से इनको भी आईपीसी की धारा 471, 420, 120बी के तहत आरोपी बनाया है। सीबीआई ने 15 सितंबर 2015 को एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद जांच शुरू की गई।
यह है भ्रष्टाचार का पूरा मामला – 27 अगस्त 2004 को मानेसर और पास के तीन गांवों की 1315 एकड़ भूमि पर अधिग्रहण से संबंधित सेक्शन-4 लागू किया गया। सरकार ने 12.5 लाख की दर से मुआवजा तय किया। सेक्शन लागू होते ही किसान डर गए और बिल्डर सक्रिय हो गए। – 25 अगस्त 2005 को 688 एकड़ जमीन पर सेक्शन 6 लागू होते ही औसतन 40 लाख रुपए की दर से बिल्डरों ने जमीन खरीदनी शुरू कर दी। – बिल्डरों को पता था कि सरकार अधिसूचना वापस लेगी। सरकार के 24 अगस्त 2007 को भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना रद्द करने से कुछ ही दिन पहले प्रॉपर्टी की कीमत 80 लाख रुपए प्रति एकड़ से अधिक हो गई। – अधिसूचना रद्द होते ही जमीन की कीमत 1.2 करोड़ प्रति एकड़ को पार कर गई। इस दौरान 22 कंपनियों ने 444 एकड़ जमीन खरीद ली। – अकेले आदित्य बिल्डवेल (एबीडब्ल्यू इंफ्रास्ट्रक्चर) ने 248 एकड़ जमीन खरीदी। सेक्शन 4 से 6 के दौरान 60 रजिस्ट्रियां हुईं। सेक्शन 6 लागू होने के बाद 4 रजिस्ट्री हुईं। – अधिग्रहण रद्द होते ही 50 रजिस्ट्रियां हो गईं। इस तरह की कुल 114 रजिस्ट्रियां गलत ठहराई गईं। सरकार ने अधिसूचना की अवधि में एक दर्जन से अधिक कंपनियों को ग्रुप हाउसिंग स्कीम के तहत लाइसेंस दिया।
शीर्ष कोर्ट ने कहा था- सरकार ने गलत किया – सुप्रीम कोर्ट ने 12 मार्च को कहा था कि सरकार ने शक्ति का दुरुपयोग किया। इसलिए बिल्डरों की खरीदी हुई जमीन सरकार को सौंपी जाएगी। – जमीन हरियाणा सरकार के हुडा और एचएसआईआईडीसी के अधीन रहेगी। बिल्डरों को दिए गए चेंज ऑफ लैंड यूज के लाइसेंस भी हुडा और एचएसआईआईडीसी के अधीन रहेंगे।
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